अब सरकारी स्कूलों के बच्चों को अंग्रेजी में दिक्कत नहीं आएगी। न ही उन्हें अंग्रेजी कमजोर होने के ताने सुनने पड़ेंगे। क्योंकि अब सरकारी स्कूल भी इंग्लिश मीडियम में खुल रहे हैं। राजस्थान ने इसकी पहल कर दी है। यानी अब इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ाने के लिए अभिभावकों को लाखों रुपए खर्च नहीं करने पड़ेंगे।
अंग्रेज़ी मीडियम से ‘प्यार-नफरत’ का रिश्ता फिर भड़का, जब जगन मोहन ने स्कूलों में अंग्रेजी अनिवार्य किया। जानिए पूरी कहानी एनिमेशन में।
राजस्थान शिक्षा विभाग मानसरोवर ने, जयपुर में पहला इंग्लिश मीडियम सरकारी स्कूल खोला जा रहा है। इस स्कूल में पहली से लेकर 12वीं कक्षा तक की पढ़ाई होगी। एक तरफ अंग्रेजी को तब्बजु दी जा रही है लेकिन दूसरी तरफ ठाकरे सरकार का फैसला लिया है मराठी भाषा दिवस पर, महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में मराठी पढ़ना होगा अनिवार्य। जी हां उद्धव ठाकरे सरकार राज्य के सभी स्कूलों में 10वीं कक्षा तक मराठी भाषा की पढ़ाई अनिवार्य बनाने के लिए आगामी विधानसभा सत्र में एक विधेयक लेकर आने का मन बना चुकी है।
कितनी जरुरी है अपनी मात्र भाषा के साथ अंग्रेजी सीखना
हम तो बस यही कहेंगे भारत एक विविधताओ से भरा हुआ देश है और यहाँ पर बोलियां भी काफी बोली जाती है इसके ऊपर एक कहावत भी है कि कोस-कोस पर बदले पानी चार कोस पर वाणी इसका अर्थ यही हुआ कि यहाँ पर काफी ज्यादा विविधता है और यहाँ पर किसी एक भाषा को राष्ट्रीय भाषा या मात्र भाषा बना देने से लोगों में काफी ज्यादा असहजता सी आ जायेगी। खुद हमारे देश में कन्नड़ा, मद्रासी और भी कई भाषाएं बोली जाती है लेकिन हिंदी हर कोई नहीं जानता लेकिन अंग्रेजी बहुत सारे लोग समझते है इसलिए अपनी मातृ भाषा के साथ अंग्रेजी सीखने में कोई बुराई नहीं।